कल स्वप्न में मैंने एक साये को देखा,
कमरे के कोने पर खड़ी मुस्कुरा रही थी,
चौंका कुछ यूँ देखकर मैं उसे ,
कैसे मुस्कुरा कर आईना दिखा रही थी,
पुछा हिम्मत जुटा कर मैंने,
कौन है तू यह तो बता ?
मंद मुस्कराहट से वो बोली,
ध्यान से देख, ज़िन्दगी हूँ तेरी
ली इजाज़त मैंने उससे, पूछा एक सवाल,
क्यों खफा है हम एक दूसरे से बतला दो थोड़ा ज्ञान,
फिर देख मुझे वो हैरत से,
दी मुझें मंद मुस्कान,
वो बोली, ज़िन्दगी हूँ पगले,
तुझे जीने का दे रही थी ज्ञान