दुनिया के इस मेले में, मेरा हाथ क्यों तूने छोड़ा है ?
ज़िन्दगी में अकेला कर, मुझे क्यों तड़पते छोड़ा है ?
रुकते नही यह आँसू सोचकर, बिताए उन खुशी के लम्हों को,
बस किसी तरह जी रहा हूँ ज़िंदगी, तेरे एहसासों को भाप कर।
यकीन है मुझे अपने परवर दिगार पे, कि फिर मिलाएगा मुझे तुझसे।
क्योंकि निहारेगा वो भी कैसे? सूखते हुए दरिया ए ममता को देखकर।।